नई दिल्ली: खराब मॉनसून की मार झेल रहे किसानों के लिए अब एक बड़ी राहत की खबर है। भारत सरकार ने डीज़ल की कीमतों में बढ़ोतरी के प्रस्ताव को फिलहाल टाल दिया है। इससे किसानों पर बोझ कम होगा और महंगाई दर भी नहीं बढ़ेगी।
जलाशयों और नदियों में घटते पानी की वजह से सिंचाई और बुवाई के लिए डीज़ल पंपों पर किसानों की निर्भरता बढ़ती जा रही है। डीज़ल की मांग बढ़ रही है। किसान तनाव में हैं। लेकिन फिलहाल खराब मॉनसून से जूझ रहे किसानों के लिए बड़ी राहत की ख़बर ये है कि पेट्रोलियम मंत्रालय ने डीज़ल की कीमतों में बढ़ोतरी के प्रस्ताव को टाल दिया है।
यानी डीज़ल पर सब्सिडी कम करने की यूपीए−2 की योजना फिर खटाई में पड़ गई है। डीज़ल की कीमतों में एक रु बढ़ोतरी से 8000 करोड़ तक कमाई हो सकती है सरकार डीज़ल पर सब्सिडी घटाना चाहती है। डीज़ल कारों पर एक्साइज़ डूटी बढ़ाने के प्रस्ताव पर भी बात हो चुकी है। लेकिन कार कंपनियों के विरोध की वजह से सरकार प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ा पायी है।
वजह यूपीए के सहयोगी दलों का विरोध भी है जिसे मौजूदा राजनीतिक हालात में दरकिनार करना सरकार के लिए मुश्किल है। सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया है कि डीज़ल की कीमतों में बढ़ोतरी कर सरकार ममता बनर्जी को और नाराज़ नहीं करना चाहती है।
संसद का मानसून सत्र अगले महीने से शुरू हो रहा है और महत्वपूर्ण विधेयकों को पास कराने के लिए ज़रूरी है कि सरकार सभी सहयोगी दलों को साथ लेकर आगे बढ़े।
जलाशयों और नदियों में घटते पानी की वजह से सिंचाई और बुवाई के लिए डीज़ल पंपों पर किसानों की निर्भरता बढ़ती जा रही है। डीज़ल की मांग बढ़ रही है। किसान तनाव में हैं। लेकिन फिलहाल खराब मॉनसून से जूझ रहे किसानों के लिए बड़ी राहत की ख़बर ये है कि पेट्रोलियम मंत्रालय ने डीज़ल की कीमतों में बढ़ोतरी के प्रस्ताव को टाल दिया है।
यानी डीज़ल पर सब्सिडी कम करने की यूपीए−2 की योजना फिर खटाई में पड़ गई है। डीज़ल की कीमतों में एक रु बढ़ोतरी से 8000 करोड़ तक कमाई हो सकती है सरकार डीज़ल पर सब्सिडी घटाना चाहती है। डीज़ल कारों पर एक्साइज़ डूटी बढ़ाने के प्रस्ताव पर भी बात हो चुकी है। लेकिन कार कंपनियों के विरोध की वजह से सरकार प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ा पायी है।
वजह यूपीए के सहयोगी दलों का विरोध भी है जिसे मौजूदा राजनीतिक हालात में दरकिनार करना सरकार के लिए मुश्किल है। सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया है कि डीज़ल की कीमतों में बढ़ोतरी कर सरकार ममता बनर्जी को और नाराज़ नहीं करना चाहती है।
संसद का मानसून सत्र अगले महीने से शुरू हो रहा है और महत्वपूर्ण विधेयकों को पास कराने के लिए ज़रूरी है कि सरकार सभी सहयोगी दलों को साथ लेकर आगे बढ़े।
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